Monday, December 8, 2008

कस - म - कस

वह मुझे कितना चाहती है,
ये मुझे नहीं मालूम|
वह मुझे चाहती भी है या नही,
ये भी मुझे नहीं मालूम|
कभी लगता है मैं पहल करुँ,
कभी लगता है वह पहल करें|
इस "तुम पहले तुम" के होड़ में,
कही देर न हो जाए.
कही प्यार हमसे,
रूठ न जाए.
कोई और तुम्हे कही,
चुरा ले न जाए.
और मेरा दिल रास्ते की तरह,
देखता न रह जाए.

(C) All Rights Reserved: रोशन उपाध्याय

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